आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा- बशीर बद्र

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा- बशीर  बद्र



Add caption







आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा

कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा

बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे

इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा

जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है

आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा

ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं

तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा

यारों की मोहब्बत का यक़ीं कर लिया मैं ने

फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा

महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनें

जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा

ख़त ऐसा लिखा है कि नगीने से जड़े हैं

वो हाथ कि जिस ने कोई ज़ेवर नहीं देखा

पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला

मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा


Previous
Next Post »

2 comments

Click here for comments
June 8, 2020 at 11:42 AM ×

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Thanks and keep visiting

Reply
avatar